Wednesday, 21 February 2018

सांस लेने को आतुर सपने

खुले आसमान में 
सांस लेने को आतुर   
हमारे सभी सपने  
दिल के पिंजरे में 
बंद है जिसकी चाबी 
तुम्हारे पास है वो 
फड़फड़ाते तो है पर 
पिंजरे से बाहर नहीं 
आ सकते वो ज़ज़्बा 
जो इन सपनो को 
खुला आसमान दे सके
वो पड़ा है तुम्हारी 
दहलीज़ के अंदर 
कब आयो तुम उस 
ज़ज़्बे को लेकर और 
खोलो ताले लगे इस 
पिजरे को ताकि हमारे 
सपनो को मिल सके 
उनके हिस्से का  
खुला आसमान   

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