Friday 16 February 2018

मेरे और तुम्हारे दरमियान


मेरे और तुम्हारे दरमियान 
जो ये फासले कायम है
उनको मिटाने की जिम्मेदारी 
तुमने अपने कन्धों पर ले रखी है
कई साल बीते पर फासले कम ना हुए
बल्कि फासले और बढ़ते ही गए 
उम्मीद दिन ब दिन नाउम्मीद 
ही हुई जा रही है इन फासलों को 
पाटने के लिए जो एक सेतु बनाया था 
हम दोनों ने जिस पर चल कर  
हम आते थे एक दूजे के नज़दीक 
और बुनते थे भविष्य के सुनहरे सपने  
वो सपने भी टूट रहे है एक एक कर 
और ये टूटन इस सेतु की नींव को 
कर रही है जर्जर दिन ब दिन और  
उस सेतु से आना जाना भी 
दोनों का लगभग बंद हो चूका है 
ख्याल रखना जिस दिन सेतु टुटा 
बहा ले जाएगा अपने साथ बचे 
टूटे फूटे सपने और उमीदें भी 
फिर कुछ ना बचेगा 
मेरे और तुम्हारे दरमियान

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !