Tuesday, 2 April 2019

जीने की वजह !

जीने की वजह !

बारिश होती है,
तब देर तक 
पत्ते बूँद बूँद
रिसते रहते हैं;

दर्द छुपाना यूँ , 
तो आसान होता 
है बारिशों में;

मगर दरख्तों ने,
भी चु-चु कर ही, 
आसमान को छुआ है;

इसी बारिश ने, 
उसकी जड़ों को  
दी है वजह जीने की; 

इन्हे भी अच्छी, 
तरह पता है,
दर्द से भी एक
अलग पहचान 
मिलती है !

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