Sunday 28 January 2018

मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे यु ही

आज से हज़ारों साल 
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है अपनी खुसबू से
आने वाले हर जन्म भी 
मैं ऐसे ही रहूँगा साथ 
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा 
रहता है अपनी जड़ से
मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे 
प्रेम की जैसे कोई पथिक
रेगिस्तान में भटक खोजता
है बेतहाशा पानी को 
मैं यु रहूँगा तुम्हे ताकते 
अपलक जैसे कोई अबोध 
बच्चा ताकता रहता है 
माँ को उसकी गोद से
हाँ आज से हज़ारों साल 
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा तुमसे
यु ही जैसे जुड़ा हु आज 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !