Sunday 28 January 2018

प्रेम में सिर्फ जायज़ ही जायज़ है

प्रेम और युद्ध में 
सबकुछ जायज़ है ;
ऐसा कई जगह 
लिखा पढ़ा भी है 
और कई वाकिये 
का मैं गवाह भी हु;
हां  युद्ध में सब कुछ
जायज़ है और इंसान 
नाज़ायज़ करते हुए 
देखे भी जा सकते है  ;
लेकिन मुझे आज
तक कोई ऐसा इंसान
नहीं मिला जो प्रेम 
में होकर कुछ भी 
नाज़ायज़ करने को 
आतुर हुआ हो अपने
प्रेम को पाने के लिए; 
तब समझ आया ये
किसी युद्धोन्मुख इंसान
ने अपने युद्ध को जायज़ 
ठहराने के लिए सब्द प्रेम 
का इस्तेमाल ही किया होगा ;
युद्ध में सब कुछ जायज़ है 
पर प्रेम में सिर्फ जायज़ ही 
जायज़ था है और होगा भी;

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !