Thursday, 23 January 2020

मन परिंदा है !


मन परिंदा है !

मेरा मन एक परिंदा है 
जब तुझसे रूठता है 
तो वो उड़ जाता है 
और उड़ता ही जाता है 
फिर दूर कहीं जाकर 
वो रुकता है ठहरता है 
फिर अचानक रुकता है 
सोचकर व्याकुल होता है   
फिर आकुल हो उठता है
उसका मन नहीं मानता 
तो वो लौट आता है 
तेरी ही उस शाख पर 
जिस पर तुमने अपने  
विश्वास के तिनको से 
से एक घरौंदा बुना है 
उसमे आकर बैठ जाता है 
मेरा मन एक परिंदा है !

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