Saturday, 4 August 2018

मज़बूर इश्क की निशानियाँ


मज़बूर इश्क की निशानियाँ
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एक तूफ़ान की ही तरह 
आया था तेरा इश्क अपनी 
सारी हदें लांघता हुआ
डुबो डाला था उसने मेरा 
सारा वजूद और मंजूर था 
मुझे खुद को खो देना 
मंजूर था मुझे तेरा नमक
सो लगा लिया मैंने गले उसे 
बनकर समंदर समां लिया 
तुझे बिलकुल अंदर अपने 
मगर अब भी है कुछ मोती 
अटके है मेरी नम पलकों पर 
जो लुढ़क आते है अक्सर 
मेरे गालों तक कि मज़बूर 
इश्क की निशानियाँ इतिहास 
मे कंही सहेजी नहीं जाती हैं 
मगर मैंने तो कसम खायी थी 
इस नाकामी को मिटा कर तुझे 
एक साहसी प्रेमिका बना तेरा
नाम भी इश्क़ के इतिहास में 
दर्ज़ करने की उसी कसम की 
कसम निभा रहा हु अब तक !

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