Monday, 7 August 2017

तुमने सदा अनसुना  किया

वो तो तुम्हे 
हर कदम पर 
आवाज़ देता रहा 
तुमने सदा अनसुना 
किया उसे और चलती
रही नज़रें नीची किये 
वो चाहता था हर कदम
पर एक सिर्फ तेरा साथ 
पर तुम किसी ओर डगर
पर ही चलती रही 
और यु तुम्हारी मुट्ठी से 
वक़्त फिसलता रहा और
उसकी ज़िन्दगी के छोटे-छोटे
पल-छीन फिसल कर 
बिखरते रहे

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