Wednesday, 30 August 2017

अद्वैत की परिभाषा

वह चुप है और 
अब तो मैं भी
हो गया हु चुप्प 
वह पीती है चाय-कॉफी  
जब कि मैं कुछ पीता ही 
नहीं हु बहुत कुछ 
अलग है हम दोनों में.
पर मैंने सुना था जब
आप किसी को बेइंतेहा 
चाहते हो तो दो इंसान
दो रहते ही नहीं वो
दोनों एक हो जाते है 
पर शायद उसकी 
सोच अलग है इसलिए
वो आज तक नहीं समझ पायी 
अद्वैत की परिभाषा 

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...