Monday, 25 December 2017

चीर प्रतीक्षित प्रेम

मेरे जीवन की
अमावस को अपनी 
चांदनी से दूर करने 
ही तो आयी हो तुम ? 
मेरे विस्वाश को 
अपने सच्चे समर्पण से 
अमर करने ही तो 
आयी हो तुम? 
बरसों की अपनी 
प्रीत को मेरे असीम 
प्रेम का सिन्दूर
लगा कर मुझे 
अपना "राम" 
बनाने ही तो 
आयी हो तुम ?
मेरे चीर प्रतीक्षित 
प्रेम को अपने प्रेम
से अमर बनाने ही तो 
आयी हो तुम ?

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