Wednesday, 5 February 2020

एहसास !


एहसास !

एक एहसास 
तुम्हारी अँगुलियों के पोरों में 
एक एहसास 
मेरी साँसों की गति में 
कोई कैसे जुदा करेगा 
एहसास से जुड़े हमदोनों 
के अनुबंधों को 
फिर भी सदा याद रखना 
अनुशाषित करते मेरे 
प्रतिबंधों को
मेरी और तेरी 
प्रीत का मदालस
एहसास काफी है 
ईश द्वारा नवाज़ी हुई 
ये ज़िन्दगी पुरे सकूँ से 
जीने के लिए !   

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...