Friday, 21 December 2018

मेरे अस्तित्व की कुंजी!

मेरे अस्तित्व की कुंजी!
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तुम कुछ इस 
तरह हर पल 
मेरी नज़रों में 
समायी रहती हो;

कि मुझे इस भीड़ 
भरी दुनिया में भी 
एक तुम्हारे सिवा 
कोई और दिखाई 
ही नहीं देता है;

तभी तो मैं तुम्हारे 
उस असीमित अनन्त 
और विस्तृत वज़ूद को 
अपने  ह्रदयाकाश में 
समेट लेना चाहता हूँ;

और उस से जुडी हर एक 
सम्भावना को स्वयं में 
कुछ इस तरह समाहित 
कर लेना चाहता हूँ;

कि उसके बाद तुम 
तुम्हारा वजूद हर पल 
मेरे अस्तित्व में एक 
अदृश्य शक्ति की कुंजी 
बनकर सदा मौजूद रहो !

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