Wednesday, 4 December 2019

पुरुष !


पुरुष ना ही बलात्कार करते हैं ,
पुरुष ना ही अत्याचार करते हैं ;

पुरुष ना ही लड़कियों पर टूटते हैं ,
पुरुष ना ही किसी की आबरू लूटते है ;

पुरुष सदा ही दिलों को जीतते है ,
पुरुष सदा ही स्त्रियों को जिताते है ; 

पुरुष के साये में बीवी बेटी बहन पलती हैं ,
पुरुष की सांसें उन्ही की दुआओं से चलती है ;

पुरुष नहीं फेंकते तेज़ाब किसी के देह पर ,
पुरुष अपनी प्रीत के प्रेम में फनाह हो जाते हैं ;

पुरुष का देह की मंडियों से कोई सरोकार नही होता ,
पुरुष कभी दहेज़ के लिए उन पर हाथ नहीं उठता ;

पुरुष बच्चियों के नाजुक बदन से नहीं खेलते ,
पुरुष बच्चियों को कलियों की तरह सहेजते है ;

का पुरुष ही बलात्कार करते हैं ,
का पुरुष ही अत्याचार करते हैं ;

क्योंकि पुरुष अव्यक्त से परे हैं ;
और पुरुष से परे कुछ भी नहीं है !

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