| तुम्हारी चाहत का समंदर | |||
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| उसने कहा ये जो | |||
| भूरी-भूरी लहरें है | |||
| तुम्हारी आँखों की | |||
| वो खिंच ले जाती है | |||
| मुझे तुम्हारी रूह के | |||
| रसातल में ;मैंने कहा | |||
| मेरे पास कुछ और नहीं | |||
| इस भूरी -भूरी लहरों के सिवा | |||
| यंहा तक की कोई अनुभव | |||
| भी नहीं प्रेम का ना ही है | |||
| कोई नाव जिसमे बैठा कर | |||
| तुम्हे पार करा दू इन लहरों से | |||
| अगर मैं तुम्हे प्रिय हु | |||
| तो लो थाम मेरा हाथ | |||
| मैं तुम्हे इस चाहत के | |||
| समंदर के अंदर पानी के निचे | |||
| साँस लेना सीखा दूंगा | |||
| क्यूँ की सर से पांव तक | |||
| मैं सिर्फ तुम्हारी चाहत | |||
| का समंदर हु ! | |||
Tuesday, 26 June 2018
तुम्हारी चाहत का समंदर
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स्पर्शों
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