Tuesday, 12 June 2018

जून की बारिश


जून की बारिश

----------------

आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
होंठ दोनों के एक साथ थरथराने ना लगे
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
तन दोनों बन ना जाये लिहाफ एक दूजे का
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
तपती धरा को बादल बरस कर हरहरा ना दे
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
पसीने की ये बूंदें जमकर बन ना जाए
ओस की ठंडी-ठंडी छोटी छोटी बूंदें
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
तृप्त ना हो जाए तुम्हारी यौवन युक्त तपिश
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक
हर्फ़ होंठो से निकलना छोड़
नज़रों से ना करने लगे इज़हार
आओ इस तपते जून की बारिश में
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...