Wednesday, 6 November 2019

एक मैं और एक तुम !


एक मैं और एक तुम !

हर दिन में कुछ पल तो हों 
जो सिर्फ तेरे और मेरे हो ;

जिसमे कोई तीसरा ना हो  
उस पल में हम दोनों साथ हो ;
  
उसमे सिर्फ एक दूजे की बात हो
उन बातों को सुनने वाला कोई और ना हो ;
  
यूँ ही बैठे बैठे एक दूजे की बात 
पर दोनों बेतहाशा हंस पड़ते हो ;

हँसते-हँसते एक दूजे की आँखों 
से बरबस आसूं निकल पड़ते हो ;

उन आँसुओं को पोछने वाला 
वहां कोई और तीसरा ना हो ;

बस मैं और तुम एक दूजे 
के बहते आंसू पोंछते हो !  

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