तुम अपनी शिकायतों
का सिलसिला यूँ ही
जारी रखना सदा,
क्यूंकि मैंने देखा है
तुम्हारी शिकायतों
के पीछे छुपी उम्मीदों
को बड़ी आस से मुझे
टुकटुक देखते हुए,
उन्हें देख कर लगता
है कि कुछ शिकायतें
सदा बनी रहनी चाहिए !
तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...
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