सीढ़ियाँ आसमान की चढ़ के
चाँद के एक एक कोने में
मोहब्बत को तलाशते है
और सूरज के सहरा में
दो बूंद पानी की ख़ातिर
मोहब्बत अपनी एड़ियाँ
रगड़ती है
फिर प्रेम के प्यासे
लोग सिसक के अपना
दम तोड़ देते हैं !
शब्दांकन © एस आर वर्मा
तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...
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