Wednesday, 4 March 2020

गहरा जख्म !


गहरा जख्म !

कुछ जख्म ऐसे होते है 
जो दिखते तो नहीं है 
पर दर्द बेइंतेहा देते है
उस जख्म में से रक्त 
तो बिलकुल रिसता नहीं है 
पर जख्म गहरा होता है 
हाल बिलकुल वैसा ही होता है 
उस का जैसे कोई मुस्कुराता 
हुआ खूबसूरत चेहरा अपने 
भीतर आंसुओं का सैलाब 
हंसी के लिबास में छुपाकर 
अपने दिल ही दिल में 
जार जार रोता है !  

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...